नाट्यगंगा ऑनलाइन पाठशाला- तेरहवा दिन नाटक एक खेला है- प्रीति झा तिवारी
Natyaganga Online Pathshala
नाट्यगंगा ऑनलाइन पाठशाला- तेरहवा दिन नाटक एक खेला है- प्रीति झा तिवारी
छिंदवाड़ा । नाटक एक खेला है। कलाकार को इसे खेल की तरह ही खेलना चाहिए। यदि कलाकार इसे आनंदित होकर करेगा तो निश्चित रूप से दर्षक भी आनंदित होगा। यह बातें नाट्यगंगा छिंदवाड़ा द्वारा आयोजित ऑनलॉइन एक्टिंग की पाठशाला के तेरहवे दिन संगीत नाटक अकादमी पुरूस्कार से सम्मानित अभिनेत्री श्रीमति प्रीति झा तिवारी ने कलाकारों से कहीं। प्रीति जी को वर्ष 2018 में अभिनय के क्षेत्र में बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। आपने एम ए नाट्य कला, नाट्य रत्न, नाट्य विशारद जैसी उपलब्धियों को प्राप्त किया है। आपने 1992 से मैथिली नाटकों से अभिनय की शुरुआत की है। अब तक 100 से अधिक मैथली व हिंदी नाटकों में भागीदारी की है तथा देश के अनेक नाट्य समारोह में बतौर अभिनेत्री सम्मिलित हो चुकी हैं। आप श्री राम सेंटर रंगमंडल व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल में बतौर अभिनेत्री कार्य कर चुकी हैं। रंगमंच में अभिनय ही क्यां इस विषय पर बोलते हुए उन्हें कलाकारों को बताया कि अभिनय के साथ ही कलाकारों को अन्य क्षेत्रों जैसे संगीत, मेकअप, वस्त्र विन्यास, सैट, प्रापर्टी और लाइट आदि का अनुभव होना चाहिए। आज आपने सबसे महत्वपूर्ण बात ये बताई कि किसी भी प्रोफेशनल रेपेटरी में काम कैसे किया जाता है। उसके लिए कलाकार को कैसे तैयारी करना चाहिए। आज अतिथि के रूप में गिरिजा शंकर जी, सुशील शर्मा जी, ब्रजेश अनय जी, मुकेश उपाध्याय जी और विनोद विश्वकर्मा जी उपस्थित रहे। आज कार्यशाला का संचालन स्वाति चौरसिया ने और आभार विनोद प्रसाद ग्यास ने व्यक्त किया। कार्यशाला के निर्देशक श्री पंकज सोनी, तकनीकि सहायक नीरज सैनी, मीडिया प्रभारी संजय औरंगाबादकर और मार्गदर्शक मंडल में श्री वसंत काशीकर, श्री जयंत देशमुख, श्री गिरिजा शंकर और श्री आनंद मिश्रा हैं। आज की मुख्य बातें-थियेटर की शुरूआत कब और कहां से हुई। नाटक और फिल्म के अभिनय में क्या अंतर होता है। फिल्मों से ज्यादा मुष्किल होता है नाटकों में अभिनय करना। जिसने नाटक में अभिनय कर लिया उसके लिए फिल्मों में अभिनय आसान हो जाता है। प्रोफेशनल रेपेटरी की कार्य प्रणाली क्या होती है।पूर्ण कलाकार बनना क्यों जरूरी है।
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