नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के दर्शन को युवा पीढ़ी अपने जीवन में ग्रहण करे उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी : सुश्री उइके

Governor attended the Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti function in Chhindwara

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के दर्शन को युवा पीढ़ी अपने जीवन में ग्रहण करे उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी : सुश्री उइके
रिपोर्ट। दीपक कोल्हे, अनिमेष सिंग छिंदवाड़ा

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के दर्शन को युवा पीढ़ी अपने जीवन में ग्रहण करे उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी : सुश्री उइके

  • नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया
  • राज्यपाल छिंदवाड़ा में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती समारोह में हुई शामिल

छिंदवाड़ा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के जीवन दर्शन को जो अपने जीवन में उतार ले उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी और उनमें राष्ट्र निर्माण की भावना सुदृढ़ होगी। नेता जी ने देश के लिए अपना सर्वोच्च न्यौछावर कर दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश मे नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। मैं इस अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देती हूं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की जयंती के अवसर पर छिंदवाड़ा जिले के सुभाष टापू में आयोजित कार्यक्रम में कही। इस अवसर पर उन्होंने भूूतपूर्व सैनिकों का सपरिवार सम्मान किया और दिव्यांगजनों को ट्रायसिकल भी वितरित किए। इस कार्यक्रम का आयोजन सुभाष चन्द्रबोस जयंती उत्सव समिति, हम फाउंडेशन और जिला प्रशासन छिंदवाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। राज्यपाल ने इस अवसर पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम में सुभाष चन्द्र बोस जयंती उत्सव समिति के संरक्षक श्री दौलत सिंह ठाकुर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री के.आर. हलदुलकर,  समिति के उपाध्यक्ष श्री सत्येन्द्र ठाकुर उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस देश के स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक थे। उनके राष्ट्र के प्रति त्याग एवं बलिदान की भावना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक बिल्कुल नई दिशा और दशा प्रदान की। नेताजी एक युगदृष्टा थे, जिन्होंने देश की पूर्ण स्वतंत्रता और उसके भविष्य की परिकल्पना की थी। वे इंडियन सिविल सर्विस में चयनित हुए थे परन्तु उन्होंने देश सेवा को सर्वोपरि मानते हुए त्याग पत्र दे दिया और देश को स्वतंत्र कराने के रास्ते को चुना।

राज्यपाल ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस जी ने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा‘ का नारा दिया, जिसने हर भारतवासी के हृदय में अवर्णनीय उत्साह एवं ऊर्जा का संचार किया। आजाद हिन्द फौज में पारस्परिक अभिवादन तथा युद्ध घोषणा के लिए ‘‘जयहिन्द’’ का प्रयोग किया जाता था। इससे राष्ट्रीय एकता को बल मिला। ‘‘जयहिन्द’’ का नारा आजाद हिन्द फौज तक ही सीमित न होकर आज हमारा राष्ट्रीय अभिवादन बन गया है। वे कहते थे ‘राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है। भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है, जो सदियों से लोगों के अन्दर से सुसुप्त पड़ी थी।’ वे मानते थे कि ऐसा कोई कार्य नहीं है, जिसे भारतीय नारी नहीं कर सकती है। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने ‘‘रानी झांसी रेजिमेंट’’ का गठन किया।

राज्यपाल ने कहा कि मैं इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री रमाकांत हलदुलकर को भी नमन करते हुए कहा कि श्री हलदुलकर ने सन् 1970 में यहां पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की देश सेवा के कार्यों को देखते हुए जनसहयोग से उनकी प्रतिमा को स्थापित किया था। श्री हलदुलकर जी 1944 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ रहे और उनके विचारों से प्रभावित होकर कांग्रेस छोड़कर आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक में शामिल हो गए। उनका मानना था कि नेताजी की प्रतिमा के स्थापना से नई पीढ़ी को उनके कार्यों के बारे में जानकारी मिलेगी और उन्हें याद रखेगी।

राज्यपाल ने हम फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं सुभाष चन्द्र बोस जयंती उत्सव समिति के उपाध्यक्ष श्री सत्येन्द्र ठाकुर की टीम को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी और सराहना करते हुए कहा कि आप इसी प्रकार दलगत राजनीति से उठकर समाज सेवा का कार्य करते रहेंगे तो समाज में विशेष स्थान मिलेगा।

इस अवसर पर श्री रूप चन्द्र राय, पूर्व महापौर श्रीमती कांता सदारंग तथा गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।